रिटायर्ड शिक्षक ने बेतवा पुल से कूदकर दी जान दो दिन से घर से झगड़ा कर गायब था वृद्ध किसान

Bhupendra Gupta
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परिजन बोले, 4-5 लाख का था केसीसी, नहीं कर पा रहे थे जमा

संवाददाता- पवन जैन/विजय दुबे
बरुआसागर (झांसी)-
बरुआसागर थाना क्षेत्रान्तर्गत झांसी-खजुराहो एनएच पर नोट घाट पुल से रिटायर्ड शिक्षक ने बुधवार सुबह बेतवा नदी में कूदकर जान दे दी। वह दो दिनों से घर से लापता था। सूचना पर परिवार में कोहराम मच गया। उन्होंने बताया कि वह किसान भी थे और केसीसी जमा नहीं कर पा रहे थे। इसी वजह से यह कदम उठाया है। हालांकि पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
कस्बा सकरार के गांव भिटौरा निवासी रतीराम यादव (72) रिटायर्ड शिक्षक थे। वह खेती-किसानी भी करते थे। गुजरे दो दिनों पहले वह बिना बताए घर से निकल आए। इसके बाद लौटकर नहीं गए।

बुधवार को सुबह वह बेतवा नदी पर बने नोट घाट पुल पर पहुंचे। जहां नीचे रोज की तरह नदी में वोट क्लब के कर्मचारी काम रहे थे। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता। रतीराम ग्रिल पर चढ़े और उन्होंने छलांग लगाते ही वह सीधे नदी के पानी में जा गिरे। वहीं तेज आवाज से आसपास हड़कंप मच गया। आनन-फानन में क्लब के कर्मचारी-गोताखोरों ने भी बचाव के लिए नदी में छलांग लगा दी। उन्हें खींचकर बाहर निकाला। लेकिन, तब तक उनकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने घटना स्थल का जायजा लिया। उनकी जेब निकले एक नंबर पर डायल किया। लेकिन, वह सही नहीं था। बाद में उनकी पहचान कर घर पर खबर की गई। जिससे परिजन रोने-बिलखने लगे। पुलिस ने ऐम्बुलेंस के माध्यम से तुरंत उन्हें मेडिकल कॉलेज झांसी भिजवाया। जहां रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। पुलिस ने शव को कब्ज में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। बरुआसागर थाना प्रभारी दिनेश कुरील ने बताया कि जांच की जा रही है प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या का है।
परिवार में कोहराम
रिटायर्ड शिक्षक रतीराम यादव द्वारा बेतवा नदी में कूदकर दी गई जान की खबर जैसे ही गांव भिटौरा पहुंची तो कोहराम मच गया। बेटे महेंद्र और देवेंद्र ने बताया कि पिता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। वह किसान भी थे। जिसमें फसल खराब होने से ज्यादा परेशान थे। दो दिन पहले बिना बताए घर से निकल आए। आज जब यह खबर पहुंची तो परिवार में कोहराम मच गया। सभी रोने-बिखने लगे।

केसीसी नहीं कर पा रहे थे जमा
ग्राम प्रधान भिटौरा जय हिंद यादव ने बताया कि गांव में रतीराम को चाचा ही कहते थे। उनकी मौत के बाद गांव में मातम पसरा रहा। परिजनों ने बताया कि वह काफी समय से परेशान थे। मार्च महीने में कुदरत के कहर से उनकी फसल भी नष्ट हो गई थी। उनके नाम 4-5 लाख का केसीसी था। जिसे वह जमा नहीं कर पा रहा थे। इसी वजह से टेंशन में रहते थे।

बोले ग्रामीण
वहीं भिटौरा के लोगों ने बताया है कि मृतक रतीराम के घर पर पैसों को लेकर आए दिन विवाद होता रहता था। क्योंकि मृतक रिटायर्ड अध्यापक थे तो पेंशन भी पर्याप्त मिलती थी। इसी को लेकर घर पर विवाद होता था। आए दिन ग्रह क्लेश होता था। वहीं सूत्रों की मानें तो वह एक दो बार इससे पहले भी घर से जा चुके थे।

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